भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने संघ व्यवस्था में जो बदलाव किए है उनसे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को राजनीतिक रूप से फायदा मिलने वाला हैं,वही यह बदलाव भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के लिए तगड़ा झटका है।
संघ में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मध्य क्षेत्र (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) में मध्यावधि बदलाव गहन विचार विमर्श के बाद किए गए हैं। इस बदलावों की पार्श्वभूमि में मध्यप्रदेश का सत्ता संघर्ष कारक बना हैं।
गौरतलब है कि संघ व्यवस्था में क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन के स्थान पर दीपक बिसपुते को क्षेत्र प्रचारक बनाया है। बिसपुते अभी तक रायपुर से सह क्षेत्र प्रचारक का काम देख रहे थे।
अरुण जैन की रवानगी के पीछे शिवराज लॉबी की कवायद मानी जा रही है। सूत्र बताते है कि जैन लंबे समय से मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के हिमायती थे,उन्हें सरकार विरोधी भावनाओं की जो जमीनी रिपोर्टे आ रही थी उनके अनुसार उनका मानना था कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जाना भाजपा के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।
संघ के जानकार बताते है कि अरुण जैन ने नेतृत्व परिवर्तन की जो बयार तैयार की थी उस पर सवार होकर कैलाश विजयवर्गीय सत्ता साकेत में विराजने को बेताब थे।
इसी वजह से शिवराज ने संघ के श्रेष्ठी वर्ग में लॉबिंग शुरू की। शिवराज हमेशा से सर कार्यवाह भैया जी जोशी के प्रियपात्र माने जाते रहे है लिहाज़ा जब संघ के अन्तःपुर में तय हो गया कि भैया जी जोशी ही सर कार्यवाह बने रहेंगे तो शिवराज के जमावट शुरू की और संघ नेतृत्व को अपने नेतृत्व में सत्ता में वापसी का भरोसा दिला दिया,साथ ही संघ एजेंडे के परिपालन में अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी साबित की।
बदले में संघ व्यवस्था में कुछ बदलाव मांग लिए। कैलाश विजयवर्गीय के पक्षधर माने जाने वाले क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन और मालवा प्रान्त के प्रांत प्रचारक डॉ. श्री कांत को मध्यावधि में बदल दिया गया।
अरुण जैन के स्थान पर आए दीपक बिसपुते और डॉ. श्री कांत के स्थान पर आए बलिराम पटेल को राजनीतिक रूप से निरपेक्ष माना जाता हैं।
शिवराज के निकटवर्ती सूत्र बताते है कि इस बदलाव के बाद नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों के सारे सूत्र उनके हाथ मे आ गए है। इस बदलाव से भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत और सह संगठन महामंत्री अतुल राय की निर्णायक स्थिति पर भी फर्क पड़ेगा।
शिवराज ने भैया जी जोशी के पुनः सर कार्यवाह बनने से एक बार फिर अपने विरोधियों पर राजनितिक बढ़त हासिल कर ली है।
भाजपा आलाकमान के सूत्र बताते है कि अब शिवराज के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा।
भाजपा संगठन में भी नंदकुमार सिंह चौहान बने रहेंगे। अरसे से उनके बदले जाने की चर्चा तारी रही है।
“भागवत” शिवराज सिंह चौहान के लिए हमेशा से शुभंकर संज्ञा रही है। उनका मध्यप्रदेश की राजनीति में सिरमौर बनना भी भागवत कथा के दौरान ही तय हुआ था। 2005 के नवम्बर में उनके दिल्ली स्थित निवास 5 पंत मार्ग पर कनकेश्वरी देवी की भागवत कथा के दौरान ही बाबुलाल गौर की बिदाई का प्लान बना था और वे तब कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा के कंधे पर सवार होकर मुख्यमंत्री बन गए थे।
अब जब उनके प्रति जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी उभर रही है तब संघ प्रमुख मोहन भागवत की टीम ने फिर से उन्हें सत्ता का अमृत पिलाकर शक्तिमान बना दिया हैं।
बहरहाल संघ, संगठन और सत्ता को साध कर शिवराज ने साबित कर दिया है कि वे ही भाजपा के तारणहार है।
प्रकाश त्रिवेदी@samacharline.com