उज्जैनदेवासदेशमध्य प्रदेश

बहस बाजी के बीच हुई निगम परिषद की बैठक आरोप-प्रत्यारोप के बीच कई मुद्दों को लेकर गहमा-गहमी हुई सभापति के वाहन का मुद्दा फिर गरमाया टेण्डर निरस्तीकरण पर हुई वैचारिक बहस

देवास। पाँच माह से अधिक समय के बाद निगम परिषद की बैठक हुई जिसमें सत्ता पक्षीय पार्षद दल के साथ विपक्ष ने भी आरोप लगाते हुए महापौर व निगम अधिकारीयों से ऐसे सवाल किये जिसमें वे उलझे हुए दिखाई दिये। निगम की और से कई विभागीय अधिकारी आज बैठक में मौजूद नहीं थे। जिसकेे फलस्वरूप कई सवाल सवालों में घिरे हुए दिखे। निगम परिषद की उक्त बैठक समयानुसार दोपहर 12:30 बजे आरंभ होना थी, किंतु महापौर के समय पर नहीं आने के कारण परिषद की बैठक दोपहर 1 बजे के बाद आरंभ हुई। पाँच माह के बाद हुई बैठक में सबसे महत्वपूर्ण चर्चा निगम के नियम व कानून के चलते रही। जहाँ नियमों के हवाले से कई प्रश्रों पर महापौर से लेकर निगमायुक्त नियम व कानून के चलते कई सवालों के जवाबों पर उलझे हुए दिखाई दिये। बरहाल परिषद की बैठक में अहम मुद्दों को लेकर कई प्रकार की चर्चाऐं की गई जिसमें जनहित के मुद्दों को सर्वोपरी रखा गया। विभागीय स्तर पर कई प्रकार के सवालों के बीच सदन में तर्क वितर्क हुए जिनमें निगम की कार्यशैली पर सत्तापक्षीय नेताओं ने भी सवाल उठाये। वहीं टेण्डर के निरस्तीकरण को लेकर भी सदन में माहौल गर्म हो गया था। स्वच्छ भारत मिशन को लेकर भी सत्तापक्षीय पार्षदों ने निगम में मौजूद अधिकारीयों व महापौर से खर्चों की जानकारी माँगी जिस पर अधिकारी पूर्ण रूप से बताने में अक्षम नजर आये। इस प्रकार के अन्य विषयों को लेकर गहमा-गहमी के बीच परिषद की बैठक संपन्न हुई।
विगत पाँच माह के पश्चात हुई निगम परिषद की बैठक अतिमहत्वपूर्ण विषयों को लेकर हुई जिसके चलते सदन में कभी गहमा-गहमी हुई तो कभी विराधी स्वर उठे। परिषद की बैठक आरंभ होने का समय जो था, उससे आधा घंटा देरी से जब महापौर सुभाष शर्मा पंहुचे तो सभापति अंसार एहमद ने कह ही दिया की महापौर जो खुद समय की बात करते हैं, किंतु वे खुद समय की कदर नहीं करते। इस पर निगमायुक्त विशाल सिंह ने महापौर को उनके मोबाइल नंबर पर फोन लगाया उसके बाद वे बैठक में पंहुचे। प्रेस क्लब के पूर्व सचिव व पत्रकार स्वर्गीय सुभाष मोदी के नाम पर कटी घाटी क्षेत्र का नामकरण करने का प्रस्ताव निगम परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया।
वित्तिय वर्ष 2018-19 के राजस्व आय रू. 94 करोड 18 लाख 26 हजार पेंतीस एवं राजस्व व्यय 1 अरब 1 करोड 82 लाख 62 हजार 2 सौ तिरयालीस के बजट मे रू. 4 लाख 10 हजार नो सौ बावन की बचत होकर इसमे पूंजीगत प्रप्तीयॉ 3 अरब 84 करोड 65 लाख 55 हजार 2 सौ 28, पूंजीगत व्यय 3 अरब 76 करोड 95 लाख 8 हजार 68 को ध्वनिमत से पारित किया गया।
सभापति को वाहन दो………!!
पिछली परिषद की बैठक में निगम सभापति के वाहन चालक को लेकर मुद्दा गरमाया था, जिसके फलस्वरूप सभापति ने शासन की और से निगम को वाहन तक सौंप दिया था। जिसके बाद वे निगम कार्यालय में उनके निजी वाहन से आवागमन करते हैं। जिससे नाराज पार्षद दल के सदस्यों व निगम विपक्षीय दल ने कहा की सभापति को शासन के नियमों के अनुसार पुन: वाहन दिलाया जाये जिस पर महापौर व आयुक्त की सहमति से पुन: वाहन की अनुमति दी गई। इस पर सभापति अंसार एहमद ने कहा की मुझसे दो वर्ष पूर्व वाहन निगम के अधिकारी द्वारा ले लिया गया था, जिस पर आज भी उक्त वाहन यथा स्थान पर खड़ा है। इस विषय पर काफी गहमा-गहमी हुई जिस पर महापौर कुछ बोल ही नहीं पाये। सभापति के वाहन पर परिषद ने अंतत: फैसले के साथ कहा की उन्हें वाहन शासन के नियमों के तहत दिया जावेगा।
निर्णय लेने में क्षमता नहीं……
वाहन के विषय पर काफी गहमा-गहमी के बीच निगम अध्यक्ष अंसार एहमद ने कहा की आयुक्त इस निर्णय लेने में सक्षम नहीं दिख रहे, उनमें क्षमता नहीं है, कि वह वाहन के विषय को लेकर खुद ही स्वयं उनकी क्षमता के आधार पर फैसला ले लें। सभापति ने कहा की उक्त वाहन यथावत अपने स्थान पर खड़ा है, धूलन खा रहा है, इसका 25 से 26 हजार रूपये प्रति माह का खर्च निगम दे रहा है। उस वाहन को किसी अन्य अधिकारी को दे देवें जिससे खर्च का सही मूल्यांकन हो सकेगा।
मैं मातृभूमि पर बैठूंगी…..!
वार्ड क्रमांक 12 की पार्षद शांता दिलीप ठाकुर ने उनके वार्ड में कार्य नहीं होने पर अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए, कहा कि महापौर जी ने मेरी कुर्सी छीनी है, मुझे वार्ड के लोगो ने कुर्सी पर बैठाया, मगर कुर्सी तो छीनी महापौर जी ने मैं मातृभूमि पर बैठी हुं यही से अपनी बात रखूंगी। इतना कहने के बाद महापौर ने उनकी बात को तवज्जो ना देते हुए पुन: बैठक आरंभ कर दी। वार्ड पार्षद शांता दिलीप ठाकुर का सवाल था की उनके वार्ड में गार्डन को लेकर स्वीकृति दी गई थी, किंतु वार्ड में उक्त योजना संबंधी गार्डन नहीं बनाया गया। क्या महापौर भेद-भाव करके कार्य को स्वाकृति प्रदान करते हैं।
कर्मचारीयों का वेतन दें
पार्षद मनीष सेन ने कहा की योग्य और आयोग्य कर्मचारीयों को निगम अधिकारी ने कैसे आयोग्य मानते हुए निगम से निकाल दिया वे बतायें कर्मचारीयों को हटाने के मामले को लेकर कार्यपालन यंत्री चौधरी ने कहा की कुशल, उच्चकुशल व अद्र्धकुशल कर्मचारीयों को इसलिये हटाया गया क्योंकि उनकी उच्च स्तरीय शैक्षणिक गतिविधियां उच्च गुणवत्ता युक्त नहीं होने से उन्हें हटाया गया, इस पर काफी गहमा-गहमी परिषद में हुई, जिसको लेकर महापौर ने कहा की पाँच अधिकारीयों की कमेटी बनाई जावेगी, जिसके तहत 1 अप्रेल से जो लोग उक्त पद के लिये पात्र पाये जायेंगे। उन्हें कुशल व अद्र्धकुशल की पात्रता दी जावेगी। वहीं दैनिक वेतन भोगियों में कुछ 500 कर्मचारियों में किसे नोटिस दिया गया किसे नोटिस नहीं दिया गया। इसकी जानकारी भी सभापति को नहीं दी गई। मनीष सेन ने अपनी और से बात रखते हुए कहा की पुन: जाँच समिति बनाकर दोषी अधिकारीयों के विरूद्ध कार्यवाही की जावे। समिति बनाकर पात्र कर्मचारीयों के वेतन जो रोके गये हैं, उन्हें वेतन दिया जावे।
आरोप-प्रत्यारोप……!!
पार्षद दिलीप बांगर ने कार्यपालन यंत्री को कहा की एबी रोड़ मुख्य मार्ग पर किये जा रहे सर्विस रोड़ के निर्माण में काफी धांधली हो रही है। ठेकेदारों को संरक्षण दिया जा रहा है। निगम में खास ठेकेदारों से उक्त कार्य करावाकर उन ठेकेदारों को लाभ पंहुचाने का कार्य भी किया जा रहा है। दो वर्ष पूर्व किये गए टेण्डर को अब जाकर निरस्त किया गया, जिस पर विभाग की कार्यशैली पर संदेह बना हुआ है।