भोपालमध्य प्रदेश

भोपाल मेट्रोः 4 साल बाद 1 किमी का सफर 2 मिनट में तय करेगी मेट्रो

भोपाल। भोपाल मेट्रो के लिए सबसे बड़ी अड़चन अब दूर हो गई है। बुधवार को केंद्र सरकार ने मेट्रो को हरी झंडी दे दी है। राजधानी में 27.87 किमी के मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए 6,941 करोड़ रुपए खर्च होंगे। चार साल के भीतर शहर में मेट्रो को शुरू करने का लक्ष्य तय कर दिया गया। बता दें कि करोंद से एम्स तक 14.99 किलोमीटर मेट्रो रूट की लाइन टू के तहत एम्स से सुभाष नगर वाले 6.225 किलोमीटर हिस्से में लगभग 277 करोड़ की लागत से पिलर व स्लैब (फ्लाईओवर की तर्ज पर) का निर्माण किया जाना है। इसके लिए सिविल टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।

राज्य सरकार भोपाल मेट्रो के लिए 3500 करोड़ रुपए का कर्ज यूरोपियन इनवेस्टमेंट बैंक से लेगी। वहीं केंद्र सरकार 1167 करोड़ और राज्य सरकार 1853 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट के लिए देगी। 440 करोड़ रुपए पीपीपी मोड से जुटाए जाएंगे। भोपाल मेट्रो के पहले चरण की लागत 6962 करोड़ रुपए है।

पहले चरण पर इस तरह होगा खर्च

शहर प्रथम वर्ष द्वितीय तृतीय चतुर्थ

भोपाल 543.88 2057.15 1891.98 2469.92

(नोट – राशि करोड़ रुपए में है)

पहले फेस के दो कारिडोर पर चलेगी मेट्रो

– करोंद से एम्स तक

पहले कारिडोर के तहत 14.99 किमी में करोंद से एम्स तक मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। इसमें करोंद से कृषि उपज मंडी, डीआईजी बंगला, सिंधी कॉलोनी, नादरा बस स्टैंड, भारत टाकीज, पुल बोगदा, ऐशबाग स्टेडियम के पास, सुभाष नगर अंडर पास, मैदा मिल, एमपी नगर , सरगम सिनेमा, हबीबगंज कॉम्पलेक्स, अलकपुरी से एम्स तक निर्माण कराया जाएगा।

– भदभदा चौराहे से रत्नागिरी तिराहे तक

दूसरे कारिडोर में 12.88 किमी तक पूर्व निर्धारित रूट को तैयार किया जाएगा। इस रूट पर भदभदा चौराहा, डिपो चौराहा, जवाहर चौराहा, रंगमहल चौराहा, मिंटो हाल, लिलि टॉकीज, जिंसी, बोगदा पुल, प्रभात चौराहा, गोविंदपुरा उद्योगिक क्षेत्र, इंद्रपुरी, पिपलानी से रत्नागिरी तिराहे तक मेट्रो दौड़ेगी।

यहां अंडरग्राउड चलेगी मेट्रो

लाइन टू में सिर्फ तीन स्थान ऐसे हैं जहां मेट्रो भूमिगत सफर तय करेगी। मेट्रो रेल सिंधी कॉलोनी, नागरा बस स्टैंड और भारत टॉकीज तक अंडरग्राउड रहेगी। साथ ही पुल बोगदा से एम्स तक जमीन के ऊपर चलेगी। बता दें कि मेट्रो रनिंग साइट जमीन से 9 फीट ऊपर निर्धारित की गई है।

28 मिनट में 12 स्टेशन करेगी क्रॉस

लाइन टू पर करोंद से एम्स तक चलने वाली मेट्रो 14.99 किमी की दूरी में आने वाले 12 स्टेशनों को महज 28 मिनट 22 में पूरा कर लेगी। रूट के बीच में बीआरटीएस के ऊपर एलीवेटेड पोल के जरिए मेट्रो रेल का ट्रैक तैयार किया जाएगा। मतलब 2 मिनट में एक किमी का सफर तय करेगी

भोपाल के लिए 3500 करोड़ का लोन

यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक भोपाल मेट्रो के लिए लगभग 3500 करोड़ रुपए लोन देगा। वहीं एशियन डेवलपमेंट बैंक से इंदौर मेट्रो के लिए लगभग 3200 करोड़ रुपए का लोन मिलेगा। राजधानी में मेट्रो के दो कॉरीडोर बनाने पर 6962.92 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

ऐसा रहा मेट्रो का सफर

-वर्ष 2011 में डीएमआरसी को मेट्रो प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया।

-वर्ष 2012 में डीपीआर बनाने के आदेश जारी किए गए।

-वर्ष 2013 में रोहित कंसल्टेंसी ने डीपीआर तैयार की।

-वर्ष 2014 में डीपीआर को कार्पोरेशन ने मौहर लगाई और शासन को सौंप दी गई।

-वर्ष 2015 में जापानी कंपनी जायका ने दौरा किया।

-वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने केंद को डीपीआर भेजी।

-वर्ष 2017 में मेट्रों को लेकर कई बैठके हुई।

-वर्ष 2018 में केंद्र की स्वीकृति मिली।

ऐसे हुई जमीन पर मेट्रो लाने की कवायद शुरू

20 अप्रैल- एम्स से भोपाल तक 6.255 किमी के लिए 277 करोड़ रुपए के निर्माण तय किया गया।

27 मई- मेट्रों का पहला सिविल टेंडर लाइन टू के लिए जारी किया गया।

08 जून- प्री-बिड मीटिंग में पांच कंपनियों ने भाग लिया।

13 जून- टेंडर के लिए सात कंपनियों का मूल्याकंन किया गया।

20 जुलाई- दिलीप बिल्डकॉन को सिविल वर्क का काम दिया गया।

28 अगस्त- जिला प्रशासन, मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने संयुक्त दौरा किया।

4 सितंबर- दिलीप बिल्डकॉन ने किया कंटूर सर्वे।

जल्द हो सकता है भूमिपूजन

केंद्र की स्वीकृति के कारण ही मेट्रो का भूमिपूजन नहीं हो सका है। उधर, सरकार आचार संहिता के पहले भूमिपूजन करना चाहती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो साल से अटकी वित्त मंत्रालय से मंजूरी बीते माह तब मिली जब भोपाल मेट्रो ने पहली बार सिविल टेंडर जारी किए। और 45 दिनों के अंदर प्रोजेक्ट इन्वेस्टमेंट बोर्ड व केंद्रीय कैबिनेट ने भी मंजूरी मिल गई।