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2030 तक धरती का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा: रिपोर्ट

जेनेवा: संयुक्त राष्ट्र के ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल’ (आईपीसीसी) ने सोमवार को कहा कि 2030 तक पृथ्वी के औसत तापमान में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से ऊपर 1.5 डिग्री सेल्सियस की औसत वृद्धि होगी, जिससे अत्यधिक सूखे, जंगलों में आग, बाढ़ और करोड़ों लोगों के लिए खाने के सामान की कमी का खतरा बढ़ जाएगा. सीएनएन के अनुसार, आईपीसीसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग को खतरनाक स्तर तक पहुंचने से रोकने के लिए दुनियाभर की सरकारों को समाज के सभी पहलुओं में त्वरित, दूरगामी और अभूतपूर्व बदलाव लाने होंगे.

ये आंकड़े ग्रीन हाउस गैसों के वर्तमान उत्सर्जन स्तर के आधार पर तैयार किए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रह के दो-तिहाई हिस्से का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ने से वह हिस्सा पहले ही उस ओर बढ़ चला है. इसे और अधिक गर्म होने से बचाने के लिए हमें आगामी कुछ सालों में ही महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे.

साल 2030 तक वातावरण सामान्य करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का वैश्विक उत्सर्जन 2010 के बाद से 45 फीसदी कम होता और 2050 तक औसत तापमान 1.5 डिग्री तक रखने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन शून्य करना पड़ता.

‘आईपीसीसी कार्यकारी दल एक’ के सह अध्यक्ष पानमाओ झाई ने कहा, “इस रिपोर्ट से प्रमुख संदेश यही आया है कि और तेज मौसम, समुद्र तल के बढ़ने और आर्कटिक सागर की बर्फ पिघलने से हम पहले ही ग्लोबल वार्मिग में एक फीसदी वृद्धि देख रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि इससे मूंगे की चट्टानें भी बुरी तरह प्रभावित होंगी जिनमें ऑस्ट्रेलिया की ‘ग्रेट बेरियर रीफ’ सहित 70 से 90 फीसदी चट्टानों के नष्ट होने की संभावना है. सोमवार को आई यह रिपोर्ट तीन साल से बन रही थी जो 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते का परिणाम है.