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देश में प्रदूषण लील गया दूसरे विश्व युद्ध से भी ज्यादा जानें, हुई 25 लाख की मौत

नई दिल्ली। पढ़कर या सुनकर हैरानी भले ही हो, लेकिन तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण अब जानलेवा होता जा रहा है। आलम यह है कि 2015 से लेकर अब तक दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर में 25 लाख लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। ऐसे लोगों की संख्या तो कहीं ज्यादा है, जो प्रदूषण के कारण विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं। यह तथ्य जारी किया गया है विदेशी शोध एजेंसी लैंसेट आयोग की रिपोर्ट में।

90 लाख मौतें

रिपोर्ट बताती है कि विश्वभर में प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा 90 लाख पहुंच चुका है। यह संख्या मलेरिया, एड्स और तपेदिक से होने वाली मौतों से भी तीन गुना है। चीन दूसरे नंबर पर है, जहां प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा 18 लाख पार कर चुका है। यह रिपोर्ट कहती है कि विकासशील देशों में हर छह में से एक मौत प्रदूषण के ही कारण होती है।

प्रदूषण से मौत सबसे ज्यादा

लैंसेट आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की पत्रिका मौसम मंजूषा के नवीनतम अंक में इस पर आलेख प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि द्वितीय विश्व युद्ध (1939 से 1945) के दौरान भारत में कुल 16 लाख लोग मारे गए थे। 1965 के युद्ध में भारत एवं पाकिस्तान के लगभग तीन हजार लोग मौत का शिकार बने थे। कारगिल युद्ध में 527 सैनिक शहीद हुए थे। यानी प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा इन सबसे ज्यादा हो गया है।

बढ़ रही बीमारियां

उक्त रिपोर्ट और आलेख के मुताबिक प्रदूषण के प्रभाव से हृदय संबंधी रोगों की आशंका बढ़ रही है। फेफड़ों का कैंसर एवं श्वसन संबंधी रोगों से ग्रस्त मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके अतिरिक्त त्वचा एलर्जी, एक्जिमा और मानसिक तनाव के मरीज भी खूब बढ़ रहे हैं।

इसमें संदेह नहीं है कि प्रदूषण आज नं. एक “किलर” बन चुका है। दिल का दौरा पड़ने में भी प्रदूषण बड़ी वजह बन रहा है। अस्थमा अटैक और सांस लेने में तकलीफ के भी काफी केस सामने आ रहे हैं। अब भी नहीं संभले तो बहुत देर होती जाएगी।-डा. केके अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं पूर्व अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

देश भर में प्रदूषक खतरनाक रूप ले रहा है। सांस के रोगियों की संख्या में भी 30 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। लेकिन लैंसेट आयोग, डब्ल्यूएचओ व अन्य एजेंसियों के मृत्यु संबंधी आंकड़ों से असहमत होते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय जल्द ही अपना अध्ययन शुरू कराने जा रहा है। -डॉ. टीके जोशी, सलाहकार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय।