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सात दिनों के बाद आया भाजपा प्रत्याशी का मंगलवार चुनाव जीतने के लिये प्रत्याशी को भरोसा कार्यकर्ताओं पर क्या कार्यकर्ताओं के भरोसे पर हैं प्रत्याशी…?


सात दिनों के बाद आया भाजपा प्रत्याशी का मंगलवार
चुनाव जीतने के लिये प्रत्याशी को भरोसा कार्यकर्ताओं पर
क्या कार्यकर्ताओं के भरोसे पर हैं प्रत्याशी…?
अमित बागलीकर
देवास। आखिरकार भाजपा प्रत्याशी का मंगलवार आ ही गया, गत 7 अप्रेल को उन्होनें कहा था की मंगलवार को प्रेस वार्ता करेंगे उसमें आप लोगों को जो पूछना है पूछ लेना, लेकिन प्रत्याशी का मंगलवार नहीं आया और आखिरकार 7 दिनों के बाद सोमवार को पत्रकार वार्ता हुई जिसमें वे कह गये की मैं अपना कार्य करना जानता हूं मैं पूरी तन्मयता के साथ आगामी चुनाव जीतने के बाद कार्य करूंगा।
सात दिनों के बाद भाजपा प्रत्याशी महेन्द्र सोलंकी के द्वारा कहा दिन आ ही गया, हाँलाकि उन्होनें गत 7 अप्रैल को पत्रकारों से कहा था की आपको जो भी पूछना है मंगलवार 9 अपै्र्रल को पूछ लेना। लेकिन 9 अप्रैल के बाद वे भूल ही गये की पत्रकारों को किया वादा उन्हें याद है की नहीं। अगर ऐसा ही वादा वे आम लोगों से कर भूल जायेंगे तो आगे क्या होगा, इस पर विचार किया जा सकता है। हाँलाकि वे इस बात को पूछे जाने पर कन्नी काट गये। उन्होनें पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा की चुनाव में वे विभिन्न पहलूओं को लेकर चुनाव लडेंगे। उन्होनेंं यह भी माना की वे चुनाव में पूर्व सांसद ऊँटवाल का सहयोग भी लेंगे, इसके साथ ही अन्य रूप से स्थानीय नेताओं से भी वे रूबरू रहेंगे। उन्होनें कहा की आगामी चुनाव को लेकर वे जिस दिन भाजपा कार्यालय पर आये थे, वे न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर यहां पर आये थे।
इनकी गाड़ी कौन हांकेगा…
वहीं एक और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह टिपानिया हल्के गाड़ी हांक कर कांग्रेस नेताओं से काम ले रहे हैं। जिस पर पत्रकारों ने पूछा की टिपानिया जी की गाड़ी तो हांकी जा रही है, आपकी गाड़ी कौन हांकेगा। जिस पर उन्होनें कह दिया की देवास शाजापुर सीट पर सभी भाजपा कार्यकर्ता पूरी तन्मयता के साथ लगे हुए हैं जो विजय दिलवायेंगे। जबकि पार्टी सूत्रों की माने तो आंतरिक रूप से मनमुटाव दिखाई दे रहा है जिससे पार्टी में प्रत्याशी को पहले कार्यकर्ताओं के मन को पढ़ते हुए उनकी नाराजगी दूर करना बड़ी जंग के समान है। हाँलाकि वे पद से न्यायाधीश रहें हैं जिन्हें ये तो पता है की कैसे लोगों के मन को पढ़कर वे नाराजगी को दूर कर सकते हैं। वहीं इस बीच पूछा गया की इतने दिनों में कितने पदाधिकारीयों, कार्यकर्ताओं को मनाने के लिये जाना पड़ा है, जिस पर उन्होनें सादगी पूर्वक जवाब दिया की, जब से टिकिट मिला है उन्हें किसी भी कार्यकर्ताओं को मनाने नहीं जाना पड़ा है। उनका मानना है की उनका टिकिट होते ही पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश उभर कर सामने आया जिससे वे खुश हैं। अब आगे देखना है की लोकसभा के भाजपा उम्मीदवार के लिये ये डगर कितनी आसान है और कितनी मुश्किल।