उज्जैनदेवासभोपालमध्य प्रदेश

आदिवासियों से पौधारोपण के 12 हजार 420 गड्ढे तो खुदवा लिए, लेकिन मेहनताना देने के नाम पर कर रहे है आनाकानी


मेहनताना हुआ था 2 लाख से अधिक, वन विभाग ने किश्तों में महज 34 हजार देकर टरकाया
देवास। आदिवासी क्षेत्र के लोग काम करने के लिए अन्य शहरों से आते हैं जहां उन्हें की गई मजदूरी के ऐवज में नगद रूपया मिलता है, जिससे इन आदिवासियों का भरण पोषण हो जाता है। वहीं कई लोग काम की तलाश में भी शहरी क्षेत्र में आते हैं और इस प्रकार के काम करके अपना भरण पोषण कर लेते हंै लेकिन यहां जब काम कराने वाले ठेकेदार व अन्य विभागीय लोग इन मजदूरों को इनकी मजदूरी का भुगतान नहीं करते तो यह बेचारे मजदूर जीवन यापन करने के लिए भी परेशान होकर दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हंै। कुछ ऐसा ही मामला कन्नौद तहसील के ग्राम मवासिया का आया जहां वन विभाग के रेंजर ने पौधों के लिए गड्ढे मजदूरों से खुदवाए और उन्हें उनका मेहनताना नहीं दिया और वहां से रवाना कर दिया।
देवास जिले के ग्राम कन्नौद की तहसील मवासिया में शहडोल जिले के ब्योहारी गांव से करीब 18 मजदूर काम करने के उद्देश्य को लेकर यहां आए थे। यहां पर वन विभाग ने उन्हें गड्ढे खोदने के लिए कार्य पर रखा था। उक्त गड्ढों को खोदने के लिए 18 रूपए प्रति गड्ढें के हिसाब से देने की बात कही थी। इन मजदूरों ने कन्नौद के इस वन क्षेत्र में 12 हजार 420 गड्ढें खोदे थे, जिसके अनुसार 2 लाख 23 हजार 560 रूपए इन मजदूरों का मेहनताना बना था, लेकिन वन विभाग के रेंजर जिसका नाम इन मजदूरों के मुताबिक खान बताया गया है। उसने इन्हें सिर्फ 34 हजार रूपए किश्तों में दिए और काम पूरा हो जाने के बाद वहां से रवाना कर दिया। इस बात को लेकर आज सुबह यह 18 मजदूर कलेक्टोरेट पहुंचे। जहां उन्होंने कलेक्टर के नाम एक आवेदन बनाकर देने की बात कही है। कहा जाए तो जिला प्रशासन के मुंह पर करारा तमाचा है जो मजदूर वन विभाग के अधिकारी के द्वारा प्रताडि़त होने के बाद अब कलेक्टोरेट में डेरा डाले बैठे हैं।
रात से थे भूखे
कन्नौद से देवास आए यह मजदूर रातभर से भूखे थे। उनके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं थे, जिस पर यहां कुछ लोगों ने व मीडियाकर्मियों ने आपस मे पैसा एकत्रित कर इन मजदूरों को भोजन के लिए पैसा दिया। वहीं उससे पहले यहां कुछ मीडियाकर्मियों ने इन्हें नाश्ता करवाया और इनके साथ जो मासूम बच्चे थे उन्हें भी नाश्ता करवाया।
जब एसडीएम आये हुई सुनवाई
काफी देर तक कलेक्टर का इंतजार मजदूर करते रहे। जिसके बाद लगभग साढ़े 12 बजे एसडीएम जीवनसिंह रजक यहां पहुंचे और उन्होंने मजदूरों की इस पीड़ा को सुना और उन्हें सांत्वना दी है कि उनका मेहनताना जल्द ही मिल जाएगा। एसडीएम ने मौके से ही वन विभाग रेंजर से संपर्क किया और आज ही पैसा दिलवाने की बात कही।