जो अगणित लघु दीप हमारे, तूफ़ानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन, मांगा नहीं स्नेह मुँह खोल। कलम, आज उनकी जय बोल। पीकर जिनकी लाल शिखाएं
Read Moreसाजन! होली आई है! सुख से हँसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज- साजन ! होली आई है! हँसाने हमको आई है! साजन! होली आई है! इसी
Read Moreभारतीय साधना के प्रारंभिक विकास से 9वीं शताब्दी तक हिंदू धर्म का प्रचार तथा प्रसार व्यक्तिगत रूप से मनीशियों द्वारा होता रहा । स्वामी शंकराचार्य ने स
Read More(1) चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह। जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥ (2) माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी
Read Moreकिए चरित पावन परम प्राकृत नर अनूरूप।। जथा अनेक वेष धरि नृत्य करइ नट कोइ । सोइ सोइ भाव दिखावअइ आपनु होइ न सोइ ।। तुलसीदास की मान्यता है कि निर्गुण ब
Read Moreयहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से, वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथव
Read Moreसमाचार लाइन के "ब्यूरो चीफ" उज्जैन "आदित्य त्रिवेदी" ने कुछ समय पूर्व हिंदी के प्रसिद्ध कवि "प्रोफेसर चंद्रकांत देवलाल जी " से उनके जीवन एवं उपलब्धिय
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